*बस्ती के कई गांवों में चोरों के डर से जागते हैं ग्रामीण लाठी-डंडा लेकर रात भर दे रहे पहरा*

*बस्ती के कई गांवों में चोरों के डर से जागते हैं ग्रामीण लाठी-डंडा लेकर रात भर दे रहे पहरा*
बस्ती जनपद के कई गांव में बीते कुछ दिनों से चोरों का डर इस कदर हावी है कि अब हर रात ग्रामीण नींद छोड़कर पहरा देने को मजबूर हो गए हैं। गांव डूड़ी कैथोलिया, रमवापुर, लौवाडा, बेसौरा और फेन्सा जैसे गांवों के निवासी अब डर के माहौल में सांस ले रहे हैं। ग्रामीणों का दावा है कि देर रात कुछ अजनबी लोग गांवों के आसपास घूमते देखे गए हैं। इन लोगों के बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं है, न ही वे गांव के निवासी लगते हैं। ऐसे में चोर होने की आशंका के चलते पूरे गांव में अफरा-तफरी का माहौल बना रहता है।
इन गांवों में रहने वाले शेषनाथ, सुनील कुमार, शिव कुमार, सत्यव्रत मिश्रा, झिनकू, सियाराम, विशाल, संदीप मिश्रा, सुरेश चौधरी, लालजी वर्मा, अमरनाथ, सचिन, अंकित पाण्डेय, अरमान पाण्डेय, अमित कुमार पाण्डेय और महेंद्र प्रताप वर्मा (जो प्रधान के रूप में चुने गए हैं) जैसे कई परिवार प्रभावित हैं। ये सभी किसान, मजदूर और छोटे व्यापारी हैं, जो कभी शांतिपूर्ण जीवन जीते थे। लेकिन अब हर रात एक नई चुनौती बन गई है। "पहले तो हम रात को खेतों में घूमते थे, लेकिन अब तो घर से बाहर निकलना ही जोखिम भरा लगता है,"
ग्रामीणों के अनुसार, गांवों में अब रात्रि गश्त की एक अनौपचारिक परंपरा विकसित हो गई है। युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक सभी टॉर्च, लाठियां और डंडे थामे खेतों, गलियों और मोहल्लों में पहरा दे रहे हैं। एक ग्रामीण सभा में महेंद्र प्रताप वर्मा ने कहा, "हमारे पास कोई आधुनिक साधन नहीं हैं, लेकिन अपनी सुरक्षा के लिए हम खुद ही सजग रहते हैं। क्योंकि रास्ते में भी खतरा महसूस होता है।" यहां हर सांस में सतर्कता का एहसास है।

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