निष्कासित आशा रेनू देवी के बहाली पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी राजीव निगम पर खड़े हो रहे सवाल - उमेशचंद्र वर्मा

*प्रमुख चिकित्सा सहित मिशन निदेशक को उमेश चंद्र वर्मा ने निष्कासित आशा को लेकर लिखा पत्र*

- निष्कासित आशा रेनू देवी के बहाली पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी राजीव निगम पर खड़े हो रहे सवाल - उमेशचंद्र वर्मा 
*गौर* (बस्ती) विकासखंड गौर के गयाजीतपुर ग्राम पंचायत में रेनू देवी की आशा नियुक्ति और ग्राम पंचायत अध्यक्ष उमेश चन्द्र वर्मा एवं ग्रामीणो के बैठक में निष्कासन के बाद मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय से बहाली को लेकर अब यह प्रकरण सुर्खियों में है।
      आपको बता दे कि विकासखंड गौर के ग्राम पंचायत गयाजीतपुर ग्राम पंचायत निवासी जनतीरा देवी के रहते तत्कालीन बीसीपीएम गौर रामजीत जायसवाल ने शासनादेश के विरुद्ध दूसरी आशा रेनू देवी को नियुक्त कर दिया नियुक्ति के बाद 2006 में तैनात आशा जनतीरा देवी ने बीसीपीएम रामजीत जायसवाल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और जिला अधिकारी एवं मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय पर प्रार्थना पत्र दिया जिसके बाद ग्राम प्रधान उमेशचंद्र वर्मा एवं आशा जनतीरा देवी के प्रार्थना पत्र के आधार पर पूरे प्रकरण की जांच सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गौर के अधीक्षक जेपी कुशवाहा ने सभी विन्दुओं पर जांच की जांच में रेनू देवी की नियुक्ति शासनादेश के विरुद्ध पायी गई थी और अधीक्षक गौर की जांच में बीसीपीएम रामजीत जायसवाल आशा नियुक्ति एवं वित्तीय अनियमिता के दोषी पाए गए थे जिसके बाद ग्राम प्रधान गयाजीतपुर उमेशचन्द वर्मा ने जेपी कुशवाहा जांच के आधार पर ग्राम पंचायत में बैठक कर रेनू देवी का निष्कासन कर दिया था लेकिन निष्कासन होने के दो माह बाद दोबारा आशा रेनू देवी की नियुक्ति बहाल कर दी गई जो अब जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है रेनू देवी की बहाली की सूचना पाकर ग्राम प्रधान गयाजीतपुर उमेशचन्द वर्मा ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी को पत्र लिखा है लिखे गए पत्र में रेनू देवी के बहाली को लेकर सवाल उठाए हैं और कहा है कि आशा नियुक्ति और निष्कासन ग्राम पंचायत का अधिकार है और रेनू देवी आशा बहाली को लेकर आप स्वत निरस्त कर दे अन्यथा उच्च अधिकारियों को अवगत कराया जाएगा इसको लेकर ग्राम प्रधान उमेशचन्द वर्मा ने प्रमुख सचिव चिकित्सा सहित मिशन निदेशक को पत्र भेजकर मामले को अवगत कराया है लेकिन इतने सारे बवाल के बाद निष्कासित आशा रेनू देवी को बहाली के बाद अब मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं जिले स्तर के जांच अधिकारियों पर सवाल खड़े हो रहे हैं कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक की जांच में आशा नियुक्ति शासनादेश के विरुद्ध पाई गई थी इस नियुक्ति को कैसे सही करार दिया गया है अब जिम्मेदारों पर सवाल खड़ा हो रहा है अब देखने वाली बात होगी की आशा नियुक्ति की बहाली निरस्त होती है या मामला तूल पकड़ता है और बात प्रमुख सचिव और मिशन निदेशक तक जाती है ।

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