*रोजगार सेवकों ने सीएम को सम्बोधित ज्ञापन एडीओं आईएसबी को सौपा*
- संविदाकर्मी ग्राम रोजगार सेवकों ने विनियमित कर राज्य कर्मचारी का दर्जा देने की किया मांग
- कप्तानगंज ब्लाक में कार्यरत रोजगार सेवकों ने कहा कि प्रदेश सरकार अन्य समस्याओं को गंभीरता से ले एवं ससमय समस्याओं का निस्ताकरण करे
*कप्तानगंज बस्ती* - विकासखण्ड कप्तानगंज में कार्यरत संविदा ग्राम रोजगार सेवकों ने मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन एडीओ आईएसबी नरेन्द्र पाण्डेय को ज्ञापन सौपा । रोजगार सेवकों ने प्रदेश सरकार से मांग किया है कि संविदा पर नियुक्त 36000 ग्राम रोजगार सेवकों को विनियमित कर राज्य कर्मचारी का दर्जा दिया जाए एवं अन्य समस्याओं को गंभीरता से लेते हुए समस्याओं को साथ समय दूर किया जाए । संबोधित ज्ञापन में लिखा है कि वर्ष 2006 से मनरेगा योजनान्तर्गत ग्राम रोजगार सेवक (पूर्ववर्ती पंचायत मित्र) प्रदेश की ग्राम पंचायतों में संविदा पर नियुक्त हैं तथा योजना की प्रासंगिक (Contigency Fund) की अनुमन्य धनराशि से मानदेय भुगतान की व्यवस्था निर्धारित है। प्रदेश की अलग-अलग ग्राम पंचायतों की भौगोलिक स्थिति भिन्न-भिन्न है जिसके कारण किसी ग्राम पंचायत में कार्य का स्कोप बहुत अधिक तथा किसी ग्राम पंचायत में कार्य का स्कोप बहुत ही कम है। इसी कारण प्रत्येक ग्राम रोजगार सेवक को प्रासांगिक मद की अनुमन्य धनराशि से मासिक मानदेय का भुगतान समय से नहीं हो पाता है तथा महीनों बाकी रहता है। नियमित मानदेय भुगतान हेतु "पृथक से बजट" की आवश्यकता है।
ग्राम रोजगार सेवक विगत 18 वर्षों से अपना योगदान दे रहे हैं तथा वर्तमान में प्रदेश में लगभग 58189 ग्राम पंचायत सृजित है। इन ग्राम पंचायतों में सीधी भर्ती से नियुक्त ग्राम विकास अधिकारियों/ग्राम पंचायत अधिकारियों की कुल संख्या लगभग 15000 है, यानि एक सचिव के पास औसतन 5 ग्राम पंचायते हैं जिसके कारण ग्राम पंचायतों के विकास व ग्रामीणों की समस्याओं के निस्तारण में असुविधा होती है। यदि ग्राम पंचायत स्तर पर सरकार द्वारा एक ग्राम विकास सहायक का पद सृजित करके संविदा पर नियुक्त ग्राम रोजगार सेवकों को उनकी संख्या के आधार पर समायोजित कर दिया जाए तथा शेष बाकी पदों पर अन्य लोगों की भर्ती कर ली जाए तो ग्राम रोजगार सेवकों की लम्बे अर्से से की जा रही माँग भी पूरी हो जायेगी तथा उनको विनियमितीकरण के साथ राज्य कर्मचारी का दर्जा भी प्राप्त हो जायेगा।"
ग्राम रोजगार सेवकों की नियुक्ति उनके गृह ग्राम पंचायत में होने के कारण ग्राम प्रधान से सदैव विवाद बना रहता है तथा वह ईमानदारी से अपने कर्तव्यों/दायित्वों का निर्वहन नहीं कर पाते हैं। देश के अन्य राज्यों में ग्राम रोजगार सेवकों की नियुक्ति भारत सरकार की मार्गदर्शिका के अनुरूप ही हुई है और वहाँ पर इनके स्थानान्तरण की व्यवस्था लागू है। उत्तर प्रदेश में ग्राम रोजगार सेवकों के स्थानान्तरण की व्यवस्था लागू करने से ग्राम पंचायतों के विकास के साथ-साथ सरकारी धनराशि का अपव्यय भी नहीं होगा और ग्राम प्रधानों के शोषण, उत्पीड़न आदि से ग्राम रोजगार सेवकों की मुक्ति मिल जायेगी।
उ०प्र० में ग्राम रोजगार सेवकों का मासिक मानदेय 7788/- रुपये निर्धारित है जबकि भारत के कई राज्यों में "समूह-ग" के कर्मचारियों के समान वेतन भुगतान व ग्रेड पे की व्यवस्था है इसलिये उ०प्र० में भी ग्राम रोजगार सेवकों के लिये "समूह-ग" के राज्य कर्मचारियों के समान "वेतन स्केल" लागू किया जाना चाहिये।
प्राइवेट सेक्टर में भी कार्यरत कर्मचारियों के लिये भविष्य निधि, ग्रेच्युटी, पेंशन, बोनस, हेल्थ इन्श्योरेंस, दुर्घटना बीमा आदि की सुविधा प्राप्त होती है परन्तु सरकारी विभाग के संविदा पर कार्यरत ग्राम रोजगार सेवकों को आज तक इन सुविधाओं से वंचित रखा गया है जो अन्यायपूर्ण है। हमारे मानदेय में से वर्षों से कटौती की जाने वाली ई०पी०एफ० की धनराशि यू०ए०एन० एकाउन्ट मे पूरा जमा नहीं किया गया है इसलिये ई०पी०एफ० सुविधा का लाभ ग्राम रोजगार सेवको को नहीं मिल पा रहा है।
विगत 4 अक्टूबर 2021 को एक्सपो मैदान में मनरेगा कर्मियों के सम्मेलन में मा० मुख्यमंत्री द्वारा एच०आर० पॉलिसी, मातृत्व अवकाश, दुर्घटना स्वास्थ्य बीमा, मानदेय बढ़ोत्तरी सहित अन्य घोषणाएँ किया गया था परन्तु अभी तक मा० मुख्यमंत्री की घोषणाओं को विभाग द्वारा पूरा नहीं किया गया है। ग्राम रोजगार सेवकों ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा मामले को गंभीरता से लेते हुए जल्द ही ग्राम रोजगार सेवकों की समस्याओं को निराकरण करें ताकि रोजगार सेवक के परिजनों का भरण - पोषण हो सके । ज्ञापन सौंपते समय इंद्रजीत शर्मा मंडल अध्यक्ष, हरिशंकर यादव ब्लॉक अध्यक्ष, ओम प्रकाश, सर्व चन्द्र मिश्रा, विजयलक्ष्मी, सुरेंद्र कुमार, राम मंगल, सुनील कुमार राव, सुनील कुमार चौधरी, राम निरंजन,राम पूजन आदि भारी संख्या में रोजगार सेवक उपस्थित रहे ।